गुरुवार, 15 जनवरी 2009
लालू यादव इतिहास पुरुष हैं
जब भी बिहार की कहानी लिखी जाएगी तब इतिहास में बिहार का उल्लेख आफ्टर लालू और बिफोर लालू हीं किया जाएगा। क्युँ कि लालू यादव से पहले बिहार में आबादी के बड़े तबके को जातिबाद के नाम पर मुट्ठी भर गंदी मानसिकता के लोग दबाकर रखते थे लेकिन लालू यादव ने उस तबके के मुँह में आवाज दी और उनको उनकी गरिमा का अहसास करबाया। भले ही लालू यादव उनकी जिंदगी में समिरिद्धि नहीं ला सके और दूसरे उच्चवर्गीय नेताओ की तरह ही धोटालों में उलझ कर रह गये। पर उन्होने राज्य की एक बड़ी जनसंख्या के लिए जो भी किया इसके कारण देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा। मुझे आज भी कई पढ़े लिखे उच्च शिक्षित लोग भी जातिवाद दुराग्रह से ग्रसित नजर आते हैं जिन्हें देखकर मुझे बड़ी खिन्नता होती है। आखिर हम अपने बच्चों को क्या संस्कार दे रहे हैं। क्या इसी तरह हम देश को प्रगति के पथ पर ले जाएँगे। क्या एसे ही कलाम साहब का सपना पूरा होगा। जिस देश के निवासी का देश के दूसरे निवासी के प्रति सम्मान की भावना ना हो तो भला वह देश क्या प्रगति करेगा।
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